दिल की बात

सितारे थे गर्दिश में, चांद भी था शर्मा गया,
रात के ठंडी चाव में, जिस्म भी मेरा गरमा गया
दिल में जो दबी बात थी, होठों तक न आ पाई,
शब्दो के अभाव में, काली अंधेरी थी रात छाई
कलम जो मेरा चल पड़ा, सिले होठों में जान आई,
दिल का भाव कागज पर उतारा, सूरज ने तब जाकर ली अंगड़ाई।

साईश २५.०९.२०२१